रक्षा बंधन मनाने की परम्परा और इतिहास
बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है,प्यार के दो तार से संसार बांधा है ! सुमन कल्याणपुर की मधुर आवाज में सजा रेशम की डोरी फिल्म का ये गीत भाई बहन के बेहद खूबसूरत रिश्ते को और खूबसूरत बनता है । रक्षा बंधन हिन्दू धर्म संस्कृति में अपने आप में ही एक बहुत बड़ा त्यौहार है जिसे श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है
इस दिन हर भाई अपनी सुनी कलाई पे बहन के राखी बांधने का इंतज़ार करता है। ऐसा ही नहीं की सिर्फ सगे भाई बहन ही ये त्यौहार मनाते है जो स्त्री और पुरुष भाई बहन के रिश्ते की महत्वता को समझते है वे इस पावन पर्व को मनाते हैं
रक्षा बंधन क्यों मनाते है ?
ये सवाल आज भी बहुत लोगो के मन में होगा असल में ये त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्युकि एक भाई अपनी बहन के प्रति कर्तवय प्रकट करता है इस पावन मौके पर बहन अपने भाई के हाथ पे राखी बांधती है और साथ ही अपने भाई के स्वास्थ और ख़ुशी की कामना करती है वहीं भाई भी अपनी बहन के लिए बदले में तौफा देता है और साथ ही साथ ये प्रतिज्ञा करता है की कोई भी परिस्थिति या विपत्ति आ जाये वो हमेशा अपनी बहन की रक्षा करेगा।
रक्षा बंधन का इतिहास रक्षा बंधन का पावन त्यौहार पुरे भारतवर्ष में बहुत ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है लेकिन जैसे हमारे सभी भारतीय त्यौहार के पीछे एक इतिहास है वैसे ही रक्षा बंधन के पीछे भी एक इतिहास है ऐसी कहानिया जो आज भी लोकप्रिय है आइये रक्षा बंधन की लोकप्रिय कहानियों के बारे में जानते है
१) भगवान् इंद्र और इंद्राणी की कहानी
भविष्य पुराण के अनुसार रक्षा बंधन की शुरुआत देवो और दानवो के युद्ध से हुई थी। और युद्ध में देवता हारने लागे तभी भगवान् इंद्र देवगुरु बृहस्पति के पास पहुंचे। वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सब सुना और उन्होंने रेशम का धागा शक्तियों से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया। सहयोग से वो दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। उस धागे की शक्ति से देवराज इंद्र ने असुरो को परसस्त कर दिया। इसलिए पुराने समय में युद्ध में जाने वाले राजा और सैनिकों के हाथो में उनकी पत्नी और बहने राखी बाँधा करती थी ताकि वे सकुशल लौट सके।
भगवान कृष्ण और द्रोपदी की कहानी
राखी से जुडी सबसे प्रसिद्ध कहानी भगवान कृष्ण और द्रोपदी की है शिशुपाल वध के समय श्री कृष्ण जी ने ऐसा चक्र चलाया की उनकी अंगुली में गहरी चोट आ गयी थी । जिससे देख कर द्रोपदी ने अपने वस्त्र का उपयोग किया और उनके खून को बहने से रोक दिया था।
उसी समय भगवान कृष्ण ने पांचाली को वचन दिया की वह संकट के समय हमेशा उनकी सहायता करेंगे। श्री कृष्ण भगवान ने द्रोपदी के चीरहरण के समय अपने इस वचन को पूरा भी किया और द्रोपदी की लाज बचायी थी।
३)सम्राट हुमायुँ और रानी कर्णावती
ये उस समय की बात है जब राजपूतो को मुसलमानो राजाओ से युद्ध करना पड़ रहा था। एकदूसरे का राज्ये हथियाने के लिए मारकाट चल रही थी। उस समय चित्तोर की रानी कर्णावती हुआ करती थी। और वे एक विधवा रानी थी
गुजरात का सुल्तान बहादुर शाह उनके राज्ये पे नज़र गड़ाए बैठा था और एक दिन हमला कर दिया और ऐसे में रानी अपने राज्ये को बचा सकने में असमर्थ होने लगी। तब रानी ने हुमायुँ को भाई मानकर राखी भेजी। हुमायुँ ने बहादुर शाह से रानी कर्णावती के राज्ये की रक्षा की और राखी की लाज रखी।
ऐसी कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं हैं जो रक्षा बंधन और भाई बहन के रिश्ते के महत्व को दर्शाती है। इस पवित्र त्यौहार को देश भर में अलग – अलग तरीको से मनाया जाता है राजस्थान में रामराखी और लुंबा राखी या चूड़ाराखी बाँधने का रिवाज है
रामराखी सामान्य राखी से अलग होती है। इसमें पीले छीटों वाला फुँदना लगा होता है लाल डोरे पर ये केवल भगवान को ही बाँधी जाती है। चूड़ाराखी और लुंबा राखी भाभियो को बाँधी जाती है।